satisfaction – qanaat
हाँ ये सच है कि मुहब्बत नहीं की
यार बस मेरी तबीयत नहीं की
इसीलिए तो गाँव मे सैलाब आया
हमने दरियाओ की इज्जत नहीं की
उसको देखा था अजब हालत मे
फिर कभी उसकी हिफाजत नहीं की
जिस्म तक उसने मुझे सौप दिया
दिल ने इस पर भी कनात नहीं की
याद भी याद से रखा उसको
भूल जाने मे भी गफलत नहीं की